No plastic
प्लास्टिक के बढ़ते प्रचलन को रोकने तथा उसके दुष्प्रभाव एवं
भारतीय संस्कृति का पुनः स्मरण कराने तथा खुशहाल भविष्य की कामना करते हुए लोगों को जागरूक करने की कोशिश में लिखी गयी है,
जिसमें सबका सहयोग अपेक्षित है।
जब जेब में और साथ में हो थैला
तो
देश न होगा कभी भी मैला
बच्चों, युवाओं, महिलाओं सभी को डालनी होगी जल्द ही ये आदत
बढ़ता
प्लास्टिक घटता जीवन ,
फैला रहा सर्वत्र प्रदूषण और आफत
हम
जय बोलते हैं भारत माता की , सोचें जरा ! फिर क्यों करें इस
वसुधा को मैला ?
आओ
करें शुरुआत अडिग मन से ,
तो सदा मिलेगा देश में हर शख्स के साथ
थैला
हमारी
वसुधा कराह रही है ,
प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल से अब घबरा
रही है
घुट
रहे हैं पशु पक्षी जलजीवन ,
डिस्पोज़ल का चलन अब खतरा बढ़ा रहा है
बंद
करो ये बुरी आदत ,
प्रण लो गली, मोहल्ला, गाँव
, देश को गन्दा हरगिज नहीं करेंगे
स्वच्छ
सुरक्षित पोषित जीवन के लिए तत्पर हम, प्लास्टिक को अब टाटा बाय बाय कहेंगे
झुलस
रहा प्लास्टिक प्रदुषण से देश ,
अब तो मिलकर संभलना होगा
सुबह
से श्याम घिरा इंसान ,
प्रतिबंध नहीं उत्पादन ही बंद करना होगा
प्लास्टिक
के बढ़ते प्रयोग से ,
नदी, भूमि पशु पक्षी सब भँवर में फँस गए हैं
प्लास्टिक
के ये अंश जमीं में नदी नालों में , पीढ़ियों पीढ़ियों तक धंस गए हैं
कैंसर
रोगियों की तो मानो बाढ़ ही आ गयी , दिखावटी दुनिया से बर्बादी छा
गयी
डिस्पोजल
बी पी ए बेस्ड प्लास्टिक पैकिंग केमिकल से पर्यावरण पर आँच आ गयी
गाँधीजी
आकर तो देखो कितना सुन्दर है स्वराज हमारा ??
कूड़े
के ढेर में बदल गया शहर तो क्या सुन्दर गाँव तक हमारा
स्वच्छ
सुरक्षित पोषित समृद्ध जीवन न रह गया अब हमारा ?
थैले
की संस्कृति लानी होगी ,
कुल्हड़ को भी अपनानी होगी
कागज
से भी बात होगी ,
जुट, पत्ते, दोनो की अब
फिर से शुरुआत करनी होगी
धूमिल
होती संस्कृति की पुनः आगाज करनी होगी, स्वयं से शुरुआत करनी होगी
बंद
कर दो प्लास्टिक के ठिकाने ,
थैलों पर अब सब्सिडी दो
विज्ञापन
भी ऐसे बनाओ कि घर घर में अलख जग जाये
"प्लास्टिक नहीं अब से" प्रकृति की ओर बढ़ता
हुआ सुनहरा मेरा भारत कहलाये।
स्वच्छ
सुपोषित खुशहाल जीवन,
उज्जवल भविष्य हम बनाये नया इतिहास रचाएं
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