हिंदी कविता , कविता कोरोना Poem#Corona
हिंदी विविध में हिंदी कविता कोरोना का विश्वव्यापी संकट पर प्रकाश डाला गया है :
कोरोना वायरस ने ही फैलाया ,विश्वव्यापी प्राणघातक संकट है।
इस कोरोना को मार भगाओ, यह विश्वयुद्ध की आहट है।
हिंदी विविध में हिंदी कविता कोरोना से होने वाले आर्थिक , सामाजिक धार्मिक ,कर्म ,मर्म भारतीयों के संकल्प संयम की परीक्षा और उस पर खरा उतरने की ओर संकेत किया गया है और इस विपदा की विदाई का संकल्प निहित है :
आज विश्व की सामाजिक आर्थिक राजनैतिक व्यवस्था चरमराई है।
भारतीयों के धर्म, कर्म, मर्म पर भी आज बन आई है।
भारतीयों के धर्म, कर्म, मर्म पर भी आज बन आई है।
चीन की लापरवाही ने विपदा चहुँ ओर फैलाई है।
संकल्प, संयम से घर पर रहें, कोराना को देनी विदाई है।
संकल्प, संयम से घर पर रहें, कोराना को देनी विदाई है।
हिंदी विविध में हिंदी कविता कोरोना में हिन्दुस्तानी संदेश निहित है घर में ही रहकर शक्ति का पर्व नवरात्रि में पूजा पाठ करने, नये व्रत का पालन करने सामाजिक दूरी बनाने का सम्बोधन है :
माताओं बहनों युवाओं सज्जनों घर में रहो और पूजा करो।
नवरात्रि के इन दिनों में व्रत करो, उपवास करो।
शक्ति, भक्ति और सख्ती से नियमों का पालन करो।
शक्ति, भक्ति और सख्ती से नियमों का पालन करो।
घर से बाहर गली मोहल्लों, मन्दिरों से परहेज़ करो।
कविता कोरोना हिंदी में समझाती है कोरोना फाइटर्स (डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी , मीडिया,पुलिस , प्रशासन का धन्यवाद करो। नए शब्द कोरोना काल के - सोशल डिस्टैन्सिंग , हैण्ड वाशिंग , आइसोलेशन , ब्रेक ट्रांसमिशन चैन आदि शामिल हैं :
आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मियों का उत्साह बढ़ाकर आभार जताओ ।
हे ! शक्ति स्वरूपा दुर्गा माता अब इस संकट से पार लगाओ ।
हाथ धोकर छूओ और छूकर हाथ धोलो तुरन्त ।
दूरियां बनाओ एक दूजे से, होगा तभी फैलाव का अन्त ।
हाथ धोकर छूओ और छूकर हाथ धोलो तुरन्त ।
दूरियां बनाओ एक दूजे से, होगा तभी फैलाव का अन्त ।
कोरोना कविता इस संक्रमण के लक्षण और सावधानियों के बारे में बताकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की, विकासात्मक प्रेरणा ,अपने आपको खोजकर मन को देशहित में समर्पित होने की सीख देती है :
बुखार सूखी खांसी तकलीफ, देती रोग प्रतिरोधक क्षमता की सीख
अलग थलग रह अलगाव रख, दूर से ही कर अपनों की देखरेख।
सीख सिखाती पाठ पढ़ाती, बच्चों को भी वायरस की कहानी
अपने को खोजो और आगे बढ़ो हुनर दिखाओ आप जुबानी
घर परिवार रिश्तों से भागा इंसान, था समय के रहते वक्त कहां ?
अपने को खोजो और आगे बढ़ो हुनर दिखाओ आप जुबानी
घर परिवार रिश्तों से भागा इंसान, था समय के रहते वक्त कहां ?
वक्त दिया है, समय ने अब तो ! थम भी जा और खुद में खोजा ।
कोरोना काल की पुकार , वायरस से निजात पाने का प्रण , प्रधानमंत्रीजी नरेन्द्र मोदीजी द्वारा भारत वासियों को सम्बोधन के अंश, विश्व में भारत की अग्रणी भूमिका , मन की बात , वायरस पर फ़तेह के संकेत हैं जो हिंदी विविध में हिंदी पंक्तियों के रूप में इस प्रकार हैं :
व्यापार कार्यालय से दूर घर में ही रहने को व्यक्ति, बाधित और लाचार है
विजयपताका लहराने की विश्व में, भारत की मन की बात है।
संकट से लड़ने की अब तो देशवासियों में तीव्र चाहत है
जन जन का सहयोग, एकजुटता इसमें अपेक्षित है और देश का विकास निहित है ।