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Showing posts from March, 2015
परीक्षाओं मे नकल करके पास हुए बच्चे क्या इस काबिल है कि कहीं ढंग की नौकरी कर सके? परीक्षाओं में  नक़ल करके बच्चे पास तो हो सकते हैं लेकिन काबिल नहीं बन सकते हैं क्योंकि  शुरू से ही वे  अनुशासन की अनुपालना नहीं करते हुए अनीति पूर्वक सफलता प्राप्त कर रहे हैं जबकि जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन,मेहनत,संयम,धैर्य,लगन, ईमानदारी के साथ ही नीतिपूर्वक आगे बढ़ना होता है बच्चों में ये सभी संस्कार इसी उम्र में ढले जाते हैं बाद में परिवर्तन करना और सही आदतों का विकास करना मुश्किल हो जाता है अतः बच्चों के साथ साथ नक़ल करवाने वाले लोगों को भी बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए, जो बच्चों और देश के विकास के लिए अत्यावश्यक है और सही मार्ग प्रशस्त करवाना चाहिए क्यूंकि नौकरी हो या जीवन खुशहाल एवं आनंदपूर्वक जीने और बेहतर ढंग से कार्य करने के  लिए  बच्चों का संस्कारित एवं नीतिपूर्वक सफलता पाकर आगे बढ़ना जरुरी है.बच्चे कल के निर्माता हैं अतः जैसा उन्हें हम सिखाएंगे आगे चलकर वो भी ऐसा ही वातावरण बनाएंगे। अतः नौलारी में वो बेहतर प्रदर्शन कर पाएं इसके लिए जरूरी ह...

हमारा युगनिर्माण सत्संकल्प

हम ईश्वर को सर्वव्यापी और न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन मैं उतारेंगे।  शरीर को भगवान का मन्दिर समझकर आत्मसंयम और नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे।  मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाये रखने के लिए स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रखे रहेंगे ।  इन्द्रिय संयम,अर्थ संयम ,समय संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करेंगे।  अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना हित समझेंगे।  मर्यादाओं को पालेंगे ,वर्जनाओं से बचेंगे ,नागरिक कर्त्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे।  समझदारी,ईमानदारी ,जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन्न अंग मानेंगे।  चारों ओऱ मधुरता ,स्वच्छता ,सादगी एवं सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे।  अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।  मनुष्य के मूल्यांकन  की  कसौटी उसकी सफलताओं,योग्यताओं एवं विभूतियों को नहीं ,उसके सद्विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे। दूसरों के साथ वह व्यवहार ना करेंगे जो हमें अपने लिए ...